सूरकोट में कोयतुर नेतृत्व कौशल विकास संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न
अम्बिकापुर : कोया पुनेम गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण "कोयतुर लीडरशिप स्किल्स डेवलपमेंट सेमिनार का आयोजन महामाया दाई की नगरी अम्बिकापुर में होटल हरिमंगलम में दिनांक 30/10/2022 से 31/10/2022 को कोया पुनेम गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तिरूमाल मनोज सिंह कमरो जी के मुख्य आतिथ्य में एवं विशिष्ट अतिथि तिरूमाल ए.पी . सांडिल्य सेवा निवृत्त डिप्टी कमिश्नर एवं डॉ. कुसुम सिंह परस्ते जी, एवं सजेंद्र मरकाम के विशिष्ट आतिथ्य में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम इस सेमिनार में संयुक्त रूप से गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के महानायक गोंडवाना सुप्रीमो गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कोया पुनेम गोंडवाना महासभा के संरक्षक पेनजीवा दादा हीरा सिंह मरकाम जी साथ ही गोंडवाना के साहित्य जगत के महानायक पेनजीवा मोतीरावेन कंगाली दादा का पुण्यतिथि हल्दी अक्षत इरूक पुंगार अर्पित करते हुए तथा उनके मार्गदर्शन में चलने का सामूहिक संकल्प लिया। ये गोंडवाना के वो महान महामानव व अमूल्य रत्न हैं जिन्होने समूचे गोंडवाना के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जीवन के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया ऐसे महान महामानवों को सभी ने याद किया साथ ही उनके द्वारा बताए गये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया ।
तत्पश्चात कोया पुनेम गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय आवासीय सेमीनार की शुरूआत हुई। इस सेमिनार में देश के अलग -अलग राज्य से अलग अलग प्रांतों से पदाधिकारी, बुद्धिजीवी , विद्यार्थी , मातृशक्तियां, समाज सुधारक ,समाज प्रमुख पहुंचे थे । कार्यक्रम के प्रथम सत्र की शुरुआत आवासीय सेमीनार की अध्यक्षता कर रहे तिरूमाल बुद्धम श्याम जी ने सभी कोयतुड़ प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत करते हुए अपने मुखारबिंद से किया और बताया कि आज हमें कोयतुर लीडरशिप स्किल डेवलपमेंट सेमिनार की आवश्यकता क्यों हैं? ऐसे कौन से मूलभूत कारण है जिनके कारण हमारा समुदाय हाशिए पर चला गया है ? जिधर देखो केवल हमारे समुदाय का केवल इस्तेमाल हो रहा है बड़े पैमाने पर हमारा समुदाय शोषण उत्पीड़न का शिकार है। आज दुश्मन तो हमारा इस्तेमाल कर रहा है किंतु इन दुश्मनों के साथ साथ हमारे लोग भी उनमें शामिल हैं। लोग हमारे है किंतु काम दुश्मनों का करते हैं इन स्वार्थियों ने हमें स्वार्थ सिद्धी का साधन बना लिया है।और हम केवल उपयोग की वस्तु बन चुके हैं क्या फर्क पड़ता है कोई बाहर का लूटे या फिर कोई अपना लुटेरा हो। इन सबका कारण केवल एक ही है वो है हम अपनी व्यवस्था भूल गये। हम अपनी भाषा , संस्कृति, पुनेम , सब कुछ का परित्याग कर दिया है। दूसरों का पहचान ,दूसरों का आइडियोजी पर जी रहे। जबकि हमारे पास स्वयं की विश्व की प्रथम गौरवमयी सभ्यता थी। इस सभ्यता के प्रथम कोयतोड़ शंभूसेक मादाव हमारे प्रथम पिता थे। इसी सभ्यता से जीवन जीने का कला सिखाया अपने को भाषा दी । मानव मानव में सेवा भाव देकर सामुदायिक जीवन की सरल और सहज तथा मानव कल्याण का मार्ग दिया जिसमें विश्व कल्याणकारी सामुदायिक टोटमिक, पुनेमी , व्यवस्था का महान दर्शन दिया है।हमारे महान कोयतुर दार्शनिक रूपोलंग पहांदी पारी कुपाड़ लिंगों ने ही हमे मूंजोक सिद्धांत देकर सगापाड़ी व्यवस्था एवं मिजान दिया है। किंतु इतनी महान विरासत को हमने भुला दिया । हमें अपने कोया पुनेम को पुनर्जीवित करना होगा। कोया पुनेम पर आधारित लिंगों के बताए रास्ते का अनुसरण करना होगा। हम चाहे भले ही उद्योगपति बन जाएं किंतु यदि हमारा व्यवस्था सही नहीं रहा तो हमें बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता।इसलिए महासभा ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि हम कोया पुनेम के विचारधारा को गांव के अंतिम छोर तक पहुंचाएंगे इसके लिए स्वयं जागृत होना बेहद जरूरी है।हमारा मकसद भीड़ इकट्ठा करना नहीं बल्कि उन लोगों को प्रशिक्षित करना है जो समाज को एक विचारधारा एक दृष्टिकोण का आदर्श अपनाकर लिंगों के विचारधारा को लेकर आगे बढ़ना चाहते है। निश्चित ही आप सभी ने अपना कीमती समय कोया पुनेम की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए कुछ सीखना चाहते हैं और इसलिए आप सभी यहां पर आए है इसके लिए महासभा आप सभी का हृदय से स्वागत करती है। कोया पुनेम की विचारधारा को आगे बढ़ाने हेतु महासभा ने दस साल का अपना एक कोयतुड़ विजन तैयार किया है। और इस पर अमल भी करना आरंभ दिया है। जिसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक ,संवैधानिक उपक्रमके साथ -साथ अन्य गतिविधियां भी शामिल है। हम पूरे देश में अपना लक्ष्य अपना विजन लेकर पहुंचने वाले है। हमारा मकसद हमारा विजन हमारा उद्देश्य सब कुछ क्लीयर है हम सभी कोयतुर समुदाय को एक मंच पर लाना चाहते हैं और कोया पुनेम पर आधारित समाज की सामुदायिक व्यवस्था को लाकर अपना भी संवैधानिक कोया पुनेमिक विधान लाना चाहते है। हमारा मूल मकसद है स्वाभिमानी समाज , स्वावलंबी समाज , तथा पुनेमिक समाज का निर्माण करना। इसके लिए हमने दस साल का समय निर्धारित किया है। जिससे समाज का सर्वांगीण विकास हो और अपना खोया हुआ अस्तित्व हम वापस पा सके। यह मिशन शुद्ध रूप से हमारी अस्मिता , हमारी पहचान से ,हमारी मातृभूमि , मातृभाषा, अपने मूल वतन से से जुड़ा है इसलिए हम अपने मूल वतन गोंडवाना के समर्पित है हमें केवल गोंड गोंडी गोंडवाना का आंदोलन को मजबूत बनाना है। इसके लिए हम लोग लगातार सक्रिय है। इसी उपक्रम में यह लीडरशिप रखा गया है हमारा मकसद दिवस मनाना नहीं ना ही भीड़ इकट्ठा करना है बल्कि हमारा मकसद सच्चे कोयतुर अनुयायी पैदा कर उनमें नेतृत्व निर्माण करना है। ताकि वे अपने क्षेत्र में जाकर कोया पुनेम को पुनर्प्रतिस्थापित करने का कार्य करेंगे। इसके समाज का प्रशिक्षित होना ,प्रबोधित होना ,जानकार होना बेहद जरूरी है इसी उद्देश्य को लेकरदो दिवसीय आवासीय कोयतुर लीडरशिप स्किल्स डेवलपमेंट का कार्यक्रम अम्बिकापुर में रखा गया है। यह हमारा प्रथम कैडर बेस कार्यक्रम है जो क्राउड बेस बिल्कुल भी नहीं है हमारा मानना है जो क्राउड होता है उसको मान मन उव्वल करके पैसा देकर लाना पड़ता है। किंतु हमारे पास जो सगा पाड़ी आए है वो लोग ऐसे लोग है जो अपना स्वयं का पैसा लगाकर आए हैं और कुछ सीखने के उद्देश्य से आए हैं और सीखने के बाद अपने अपने क्षेत्र में जाकर कोया पुनेम की विचारधारा का प्रचार -प्रसार करेंगे। इसलिए वो लोग जो कोया पुनेम के कारवाँ को आगे बढ़ाना चाहते है और शुद्ध रूप से कोयतुर डेलीगेट्स है वे अपना स्वयं का पैसा लगाकर इस प्रशिक्षण में शामिल हैं। और ये कोयतुर डेलीगेट्स यहां से सीखकर कोया पुनेम के कारवां को आगे ले जाने का कार्य करेंगे। यहां पर स्वार्थी लोग स्वयं से कट जाएंगे। कहते है बिना कीमत चुकाए क्रांति नहीं होती और ना ही मुफ्त में क्रांति होती है इसके लिए हमें अपने अस्मिता , पहचान , स्वाभिमान , भाषा , संस्कृति की रक्षा खातिर बुद्धि ,पैसा, श्रम , हुनर सब कुछ लगाना होगा। आशा करता हू आप सभी मेरी बातों को महसूस कर रहे होंगे। आज हमारा समाज आई .सी. यू. में है ऐसे में आपको समाज का डॉक्टर बनना पड़ेगा तभी इलाज संभव है। और इसकू लिए आपको प्रशिक्षण रूपी पढ़ाई करनी पड़ेगी । जिस दिन आप सब पढ़ाई करना सीख जाएंगे उस दिन हम आई .सी. यू. मे पड़े समाज को स्वस्थ समाज के रूप मे खड़ा कर पाएंगे। आज यहां जो कोयतुर सगा पाड़ी प्रशिक्षण लेने आए है वे पढ़े लिखे बुद्धीजीवी वर्ग नौकरी शुदा लोग आए है । किंतु अभी भी हमारे ऐसे लोग है जो समाज की तरफ पीठ फेर लिए है। जबकि इसी समाज ने उन्हे आगे बढ़ाया है । हम तो इतने न लायक लोग है कि जिस समाज ने जो अधिकार हमारे लिए हासिल किए उन अधिकारों को बचाने में भी हम नालायक साबित हुए हैं। यह साफ झलक रहा है। इसलिए मृत समाज को जगाना होगा। और बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आकर समाज का ऋण चुकाना होगा।जो लोग समाज का कर्ज चुकाने को तैयार होंगे वही लोग सच्चे अर्थों में कोया पुनेम को आगे ले जाएंगे । मै आशा करता हूं आप सभी प्रशिक्षण का पूरा पूरा लाभ लेंगे इसी आशा और विश्वास के साथ आपने मेरी बातों को सुना सभी को जीवातल सेवा सेवा जोहार तत्पश्चात प्रथम सत्र के प्रथम प्रशिक्षक जो भोप ल से चलकर आए जो वर्तमान में बी.एच.एल. में अपर अभियंता के पद पर पदस्थ है और गोंडवाना गोंड सगा सग्गूम के अध्यक्ष ढी हैं साथ ही समाज के वरिष्ठ कोया पुनेमी चिंतनकार हैं और समय समय पर कोया पुनेम का प्रचार प्रहार करते रहते हैं आदरणीय मुर्सेनाल जयपाल सिंह कड़ोपे जी ने अपना प्रशिक्षण आरंभ किया उन्होने कोया पुनेम की बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए कोयतुर क्या है ? से शुरूआत की और हमारे मूल वतन कोयतुर , कोया , कोयामर्री , कोयामूरीदीप , की विस्तार से जानकारी दी।आपने यह भी बताया कि कैसे समय के प्रवाह में हम सब कोया वंशियों का कैसे पतन हुआ ? आपने बताया कि हम पहले कोयतुर थे। और हमारी अपनी गौरवमयी सभ्यता थी । किंतु आज हमारा समाज गैरों की संस्कृति मे अपना सम्मान ढूंढ रहा है और अपने पुरखों की गोरवमयी व्यवस्था को भूल चुका है और खुद को भिन्न भिन्न गैर समुदायों में अपना पहचान ढूंढ रहा है। किंतु आज भी एक हिस्सा है जो अपने महान कोया पुनेमी धर्म और संस्कृति का शुद्ध रूप से पालन कर रहा है, वही आजकल कोयतुर कहलाता है।किंतु यह संख्या बहुत कम है। आज भी हमारा समाज एक न होकर अलग अलग खेमों में बंटकर अपनी कोया महतारी को आई सीयू में रखकर सब कुछ भुला बैठा है। और दूसरों के आइडियोजी कोया गुलाम बन गया है। इसलिए आज हमें जरूरत है इस विराट कोयतुर समाज को उसकी प्राचीन कोया पुनेम की संस्कृति को पुनर्स्थापित किया जावे।इसी बड़े उद्देश्य को लेकर ही बुद्धम श्याम जी के नेतृत्व में यह कोयतुर लीडरशिप स्किल डेवलपमेंट का भव्य सेमिनार रखा गया है। आगे आपने यह भी कहा कि याद रखिए कोयतुर संस्कृति के महान मुठवा दार्शनिक धर्मगुरू पहांदी पारी कुपाड़ लिंगो।का आदेश है कि कोयतुर सगा पाड़ियों को अपने कोया पुंगारों और सभी गोटूल की बच्चियों सहित अपनी मातृभाषा के साथ साथ अपने कोया पुनेमी शिक्षा देनी होगी। लिंगों कहते है जो परंपरा अपना ज्ञान आगे नहीं बढ़ाती है वह स्वतः ही नष्ट हो जाती है। इसलिए हमे सर्वप्रथम अपनी सभ्यता को सीखना हे जानना है। आपने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि जब हम कोयतुर के सम्मान की बात करते है तो वह सम्मान उनकी पहचान से जुड़ा होता है । साथ ही यह पहचान कोयतुर समाज से जुड़ा होना चाहिए व पुनेमिक होना चाहिए । यह अधिकार हमारा संविधान से जुड़ा है तभी तो वह हमे विशेष प्रावधान देता है। इस तरह आपने हमें प्रशिक्षित किया आपने हमें कोयतुर मानव अधिकार मान ,सम्मान ,और स्वाभिमान तथा मूल पहचान की जानकारी विस्तार से दी। आपने हमें भाषा ,रीति रिवाज तथा पाबुन पंडूम और कोयतुर परंपराओं की जानकारी दी। आपने हमें कोयतुर समुदाय की सामाजिक विशेषताओं को समझाने का प्रयास किया आपने बताया कि कैसे हम अपने पुरखों के बताए मार्ग पर चलते थे किंतु हमें यह देखना होगा किजो हमारे पुरखों ने हमें कोया पुनेमी सभ्यता दिया था क्या हम अपने पुरखों के बतिए मार्ग पर चलते है। तो हम पाते है कि हम पढ़ लिखकर तरक्की कर लिए और कोयतुर व्यवस्था को त्यागकर गैर संस्कृति व्यवस्था को अपना लिए हैं। अपनी मां को सम्मान न देकर दूसरों की आइडियोजी को फालो कर रहे। कोई खुद को हिंदू कह रहा तो कोई खुद को इसाई कह रहा और खुद की पुरखा गली को बिसरा बैठे हैं। जबकि जो लोग गोंडी भाषा जानते है वो यह बताते है कि ये सब कोया पुनेम से ही उपजी है इसलिए तो विश्व की प्रथम सभ्यता गोंडी है। आपने आगे हमें पुटसीना नेंग , मंडमिंगना नेंग, और सायना नेंग की विस्तार पुर्वक जानकारी दी।
आज हमारे समाज को यदि आगे बढ़ाना है तो इसके पीछे के सारे सामाजिक खामियों और समाज के विनाश के सारे कारणों को जानना होगा और उन कारणों को जानकर हमें चिन्हित कर उन खामियों को दुरूस्त कर आगे बढना होगा। इसके लिए सम सबको एजुकेशन से ही मिलेगा। अपनी मौलिक पहचान ,कोया पल्लो, कोया पुनेम ,भाषा संस्कृति, रीति रिवाज, परंपराएं सब कुछ भुलाकर वनवासी, आदिवासी, गिरिजन वासी बनने में गर्व अनुभव कर रहा जबकि आप वास्तव मे कोयतुर हो। कोयतुर एक ब्रांड है युनिवर्सल आइडेंटिटी है । इस स्वाभिमानी पहचान को एक्सेप्ट करें। अन्यथा देर हो जाएगी। हम स्वयं सत्यानाश न करें हमारे सामने अपना स्वयं का गोरवशाली व्यवस्था, कोया पुनेम है एक कदम बढ़ाएं और अपना स्वाभिमान और स्लावलंबन की रक्षा करें।
इस तरह आपने अपनी बात समाप्त की इसके पश्चात सेकंड सेशन मेंअगले प्रशिक्षक के रूप में बालाघाट से चलकर मुर्सेनाल प्रेम सिंह ताडाम जी ने हमें गढ़, गढ़ी , गढ़ा ,की विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होने बताया कि गढ़ के अंतर्गत सगा पाडझियों की बावन गढ़ , तथा सगा पाडियों की सामुदायिक व्यवस्था होती है और गढ़ा के अंतर्गत गढ़ा में पांच तत्व की व्यवस्था जो क्रमशः भूंइटिया , माटिया , अद्दीटिया , उम्मोटिया , अगाटिया के मिजान शामिल है।इस तरह आपने कोया पुनेम से जुड़े अन्य मिजानों की महत्वपूर्ण जानकारी से हमे प्रशिक्षित किया। इस तरह प्रथम सत्र के प्रशिक्षण को अटेंड कर हम सब बहुत गद गद हो उठे।सभी इस प्रशिक्षण को हल्के मे ले रहे थे परंतु इस प्रशिक्षण ने समूचे प्रशिक्षणार्थियों के अःतस में आक्सीजन फूंकने का काम किया।
दूसरे सेशन की शुरूआत सुबह पांच बजे ही आरंभ हो गई । इस सत्र में सभी प्रशिक्षणार्थी सुबह पांच बजे ही तड़के तड़के हेप्पी आनंदम के प्रांगण में एकत्र हुए जहां प्रशिक्षकों द्वारा योगा , जुम्बा डांस , तथा मेडिटेशन , और भी अन्य कई गतिविधियां शामिल थी। सबने इसका लुफ्त उठाया। शरीर को चुस्त दुरूस्त करते हुए पुनः दैनिक क्रियाओं से निपटकर सभी दूसरे सत्र का प्रशिक्षण प्राप्त करने जंगो लिंगो सभा कक्ष में सभी ऊक साथ पहुंचे। अपने सीट पर अपना स्थान लिया और नाश्ता करने के पश्चात सभी अपने प्रशिक्षण हाल मे पहुंचे । जहां पर द्वितीय सत्र का आरंभ दस बजे से आरंभ हुआ अगले प्रशिक्षक के रूप में मुर्सेनाल तिरूमाल सम्मल सिःह मरकाम जी थे जो कि बालाघाट के जंगलीखेड़ा, गढ़ी,तहसील बैहर से पहुंचे थे। ये भी कोया पुनेमी यूथ चिंतनकार एवं प्रधान संपादक मावा गोंडवाना नामक पुस्तक के हैं।उन्होने अपने सत्र की शुरूआत करते हुए कहा कि कोया पुनेम की व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु अपनी राय दी और कहा कि ,हम बहुत बड़े भू भाग पर शासन करते थे। यही कारण है कि एक बड़ा भू भाग प्राचीन गोंडवाना कहलाता था । किंतु आज हमारे राजा महाराजाओ़ का साम्राज्य नहीं रहा ।और हम पतित हो गये कारण था अपनी भाषा , संस्कृति, और अनुशासन । किंतु आज हमारे पास कुछ नहीं बचा कारण हम अलग अलग बिखरे हुए है इसलिए हमको चिंतन करना बेहद जरूरी है। आज हम पुलिस थाने से डरते है पर समाज से हम नहीं डरते । कारण पुलिस एक व्यवस्था के तहत काम करती है और हमने अपनी व्यवस्था को हम भूल गये । आपने उदाहरण देकर समझाया कि जिस तरह मुस्लिम समाज का अपना एक पर्सनल लॉ है । इसी तरह क्रिश्चन का ला है हिंदू अधिनियम है उसी तरह हम कोयतुरों को भी एक कोयतुर लॉ की आवश्यकता है। आपने हमें इससे जुड़ी विस्तार से जानकारी दिया । आपने भाषा पर भी जोर दिया।
इसके बाद सेकंड सेसन में हमारे कोया पुनेम के प्रशिक्षक मुर्सेनाल प्रेम सिंह ताराम जी ने पुनः कोया पुनेम की व्यवस्था में कोया , कोयतुर, पुकराल, वेन, विरंदा , विडार, रोन रच्चा , मेढ़ो, पर्रो , डंगुर , पाठ पीढ़ा ,पेंजिया दाई, पूर्वादाऊ, नलेंज दाई, फड़ापेन, परसापेन, सजोर पेन, गांगारपेन, बाना, सल्ला गांगरा, पोयाल पेन, भूमकापेन, सियान पेन, मुठवापेन, मुर्रालपेन, बुर्रालपेन, अव्वालपेन, बाबालपेन, सांगो एना ,आड़ा सेवा ,एवं कोया पुनेम मिजानों की विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की तथा जीव जगत के जीवा आड़ा एवं वनस्पति जगत की विस्तार पुर्वक जानकारी प्रदान की। आपने पहांदी पाड़ी कुपाड़ लिंगो के जन्म से लेकर उनके सभी सामाजिक सांस्कृतिक दार्शनिक मिजानों की विधिवत जानकारी दी। आपने गोंगो संबंधी कोया पुनेम के पेनकड़ाओ की हेत करने की विधि की जानकारी दी। आपने बहुत ही सरल और सहज ढंग से पुनेम की जानकारी प्रदान की । इसके पश्चात द्वितीय सेसन के अंतिम प्रशिक्षक के रूप में मुर्सेनाल जयपाल सिंह कड़ोपे जी ने पुनः अपना प्रशिक्षण आरंभ किया और उन्होने बताया कि सियारी पंडूम से लेकर गोटूल के मिजान पर प्रकाश डाला तथा सगा सामुदायिक टोटम की विस्तार से जानकारी दी तथा झण्डे के मिजान पर प्रकाश डाला । साथ ही कोयतुरों के प्रमुख शिल्प परंपराओं की विस्तार से जानकारी दी। आपने हमें कोयतुर समुदाय के संवैधानिक अधिकारों और उनके प्रति उत्तरदायित्व की जानकारी प्रदान की।इस तरह आपने कोयतुर व्यवस्था पर प्रकाश डाला और हमें कोया पुनेम के प्रति जागरूक किया। यह प्रशिक्षण सत्र लगभग सायं पांच बजे तक चलता रहा।
प्रशिक्षण सत्र के अंत में वरूक कोया पुनेम सगा गोटूल सूरकोट ने शानदार प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया । इस कार्यक्रम के अंत में वरूक कोया पुनेम सगा गोटूल सूरकोट कीबच्चियों ने शानदार गोंडी पाटाओ में रेलापाटा नृत्य की प्रस्तुति दी। साथ ही हमारे सरगुजांचल के पारंपरिक नृत्य से सबको आनंद विभोर कर दिया। इस ग्रुप डांस की कोरियोग्राफी एवं नेतृत्व रायताड़ लक्ष्मी मराबी ने किया। सभी प्रशिक्षणार्थियों व प्रशिक्षक गण के साथ साथ दर्शको ने इन बच्चियों की बहुत तारीफ की । ये सभी बच्चियां मुर्सेनाल बुद्दम श्याम जी के माध्यम से प्रति रविवार को अम्बिकापुर में अजिरमा मे स्थित गोंडवाना भवन में गोटूल क्लास के माध्यम से गोंडी भाषा सीख रही हैं। यहां गोंडी क्लास के अलावा पर्सनालिटी डेवलपमेंट के साथ साथ सामाजिक सांसकृतिक एवं कोया पुनेम से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाते हैं। इसी कड़ी में गोटूल क्लास की लक्ष्मी मराबी ने बताया कि हम सभी बच्चियां बुद्धम श्याम दाऊ को अपना गुरू मानती है वो बहुत ही सरल ,सहज ,मिलनसार और अच्छे मार्गदर्शक हैं।वो हमारे पिता है। उनके माध्यम से हम गोंडी भाषा के साथ साथ कोया पुनेम की बारीकियों को सीखकर गर्व महसूस कर रही हैं।हम इससे पहले बहुत से सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया किंतु हमें किसी ने कुछ नहीं सिखाया किंतु जबसे गोटूल क्लास कर रही है तबसे हम खुद को खुशनसीब समझते है हम अंधकार में थे अब हमे प्रकाश रूप में दाऊ स्वरूप में हमें कोया पुनेमी गुरू मिले है हम सब बहुत खुश है। निश्चित ही हम दाऊ के मार्गदर्शन में कोया पुनेम के पथ पर चलकर समाज को आगे बढ़ाने में दाऊ का साथ निभायेंगी ।तत्पश्चात सभी बच्चों को गोंडवाना फिल्म प्रोडक्शन एवं कोया पुनेम गोंडवाना महासभा की ओर से कोया पुनेम लीडरशिप स्किल डेवलपमेंट के ट्रेनरों प्रशस्तिपत्र व सम्मान प्रदान किया गया जिन बच्चियों का सम्मान हुआ इनमें प्रमुख रूप से रायताड़ लक्ष्मी सिंह मराबी , गीतांजली मराबी , प्रमिला सिंह टेकाम , नेहा टेकाम, रागिनी सरूता, अंशु सिंह पोर्ते , श्वेता सिंह मराबी , अनीता सिंह सरूता , सुषमा सेवता, राधिका सिंह पोर्ते, लीलावती सिंह टेकाम, संध्या सिंह टेकाम इत्यादि शामिल थी साथ ही कोर्डिनेटर के रूप में अनादि मराबी , आदिम मित्रा मराबी एवं सुनिता सिंह पोया , बिमला मराबी जी शामिल थे।
सभी कोयतुड़ प्रशिक्षणार्थियों ने लिया सामूहिक संकल्प
कोयतुर लीडरशिप स्किल्स डेवलपमेंट सेमीनार 2022 मे आए सभी कोयतुर सगा प्रशिक्षणार्थियों ने लिया सामूहिक संकल्प - सभी ने कहा आजीवन हमारा पहचान कोयतुर होगा । तथा हम सब पहांदी पाड़ी कुपार लिंगो के पथ पर चलकर कोया पुनेम का प्रचार प्रसार करेंगे। और महासभा के एक विचारधारा एक दृष्टिकोण के आदर्श पर चलकर कोया पुनेम की व्यवस्था को पुनर्स्थापित करेंगे। हम अपने अपने क्षेत्र में जाकर कोया पुनेम का लीडरशिप वर्कशाप लगाकर गांव गांव में कोया पुनेम का प्रचार प्रसार कर लोगों को कोया पुनेम के प्रति जागरूक करेंगे। इस कोयतुर लीडरशिप में बताए गए सभी बातों पर हृदय से अमल करेंगे। साथ ही दुबारा कोयतुर लीडरशिप स्किल डेवलपमेंट सेमिनार हमारे क्षेत्र में हो यह संकल्प लिया।इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष तिरूमाल राय सिंह श्याम ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण मे आकर हम सब धन्य हुए ऐसा लगा जैसे हम बरसों से अंधकार मे थे किंतु आज इस कोया पुनेमी महासंगम मे आकर आलोकित और प्रकाशित हो रहे है यह कार्यक्रम हमारे लिए बहुत ही जरूरी है। सभी प्रशिक्षणार्थियों को कोया पुनेम गोंडवाना महासभा से जुड़ने की अपील की। साथ ही उन्होने बतायाकि यह महासभा द्वारा अनुकरणीय पहल है आज हम देख रहे है कि हमारा समुदाय दूसरों की आइडियोजी, दूसरों की पहचान दूसरों का मिशन पूरा करने मे लगा है स्वयं की व्यवस्था के प्रति उदासीन है । ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम सब जिन लोगों ने प्रशिक्षण लिया है अपने अपने क्षेत्रों मे जाकर अपने अपने समाज को जागरूक करें। समाज को स्वावलंबी स्वाभिमानी आंदोलन के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। आप सभी सहयोग करेंगे ऐसी आशा करता हूं इस तरह से अपनी बात पूरी की।
कोया पुनेम गोंडवाना महासभा का मिशन -स्वाभिमानी आंदोलन तैयार कर स्वाभिमानी नेतृत्व निर्माण करना
कोया पुनेम गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय महासचिव तिरूमाल विद्यासागर श्याम जी ने इस प्रशिक्षण की सफलता का सारा श्रेय सभी टीम के पदाधिकारी से लोगों के अंतिम छोर के कोयतूर सगा का सहयोग एवं योगदान शामिल है। साथ ही राष्ट्रीय प्रवक्ता तिरूमाल बुद्धम श्याम दादा का मार्गदर्शन एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष तिरूमाल मनोज सिंह कमरो जी के नेतृत्व क्षमता को श्रेय देना चाहता हूं। साथ ही मीडिया प्रभारी महेंद्र सिंह मरपच्ची , गुलाब सिंह नेताम ,राय सिंह श्याम , एवं सभी कोयतुर पावर युनिटी को दिया। साथ ही आपने सभी कोया पुनेम गोंडवाना के सभी पदाधिकारियों को धन्यवाद अर्पित करते हुए कहा कि आप सभी के सहयोग से हम धीरे धीरे अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे है। महासभा अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है हमारा उद्देश्य दिवस मनाना नहीं बल्कि आने वाले दस साल में हम समाज को कहा ले जाने वाले है हमें अपनी सारी शक्ति को हुनर को श्रम को सही जगह पर लगाने की आवश्यकता है हमें मंच मिल गया है बस हमें इन दस सालों में कोया पुनेम की विचारधारा से ओत प्रोत समाज की रचना करेंगे और सुदृढ़ समाज बनाएंगे। पहले हमारा समाज है उसके बाद ही अन्य गतिविधियां। इस तरह आपने सभी को हृदय से धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त की कोया पुनेम गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तिरूमाल मनोज कमरोजी ने अपना संबोधन अंत में दिया और कहा कि आप सभी को इस दो दिवसीय आवासीय कोयतुर लीडरशिप स्किल्स डेवलपमेंट 2022 में शामिल होने के लिए धन्यवाद । उन्होने कहा कि गोंडवाना आंदोलन की समझ विकसित करने के उद्देश्य से यह आवासीय लीडरशिप का सेमिनार आयोजित किया गया है हमारा लक्ष्य एक है । समाज को कोया पुनेम के प्रति जागरूक करना है। हम चाहते है कि हमारे समाज के अंदर नेतृत्व निर्माण हो यह सब प्रशिक्षण से ही संभव है। आपने यह भी कहा कि इस कारवां को आगे बढ़ाने हेतु प्रतिदिन एक आदमी को समझाने का काम करना होगा। हर दिन एक आदमी को महासभा से जोड़ना होगा। यदि हम ऐसा करें तो एक दिन ऐसा आएगा जब हम लोगों को समर्थन करने वाले लोगों की संख्या दूसरों के अपेक्षा सबसे ज्यादा हो सकती है। आज हमारी समस्या क्या है? हमारी समस्या यह है कि समाज हमारा है , लोग भी हमारे हैं, लेकिन लोगों का दिमाग हमारा नहीं है क्योकि हमारे लोगों के दिमाग पर गैर लोगों का कब्जा है । उनका दिमाग हमारा नहीं होने की वजह से हमारे लोग हमारे दुश्मनों के कैम्प में हैं और वो हमारे संस्कृति को आगे बढ़ाने के बजाय दुश्मनों का काम कर रहे है। इससे हमारा बहुत नुकसान हो रहा । यह प्रमुख कारण है। हमारे राष्ट्रीय प्रवक्ता कहते है इसका सीधा कारण गोंडवाना आंदोलन की समझ विकसित न होने की वजह से हो रहा है । अब इसको बदलने का तरीका है कि हम अपने लोगो के जेहन, दिमाग,और सोंच को पुनेम की चाशनी में डुबोने की आवश्यकता है।