भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली व्दारा प्रायोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 08,09 एवं 10 जून 2023 जनजातीय पारंपरिक सांस्कृतिक जीवनशैली : समकालीन परिदृश्य, संरक्षण के प्रयास एवं संभावनाएं
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली व्दारा प्रायोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 08,09 एवं 10 जून 2023 जनजातीय पारंपरिक सांस्कृतिक जीवनशैली : समकालीन परिदृश्य, संरक्षण के प्रयास एवं संभावनाएं,
स्थान - पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.) में कल द्वितीय दिन की द्वितीय सत्र पेसा अधिनियम 1996 का आदिवासी जीवन शैली में महत्व एवं उपयोगिता का चेयर पर्सन के रूप आंमत्रित तिरूमाल अश्वनी कांगे, और इसी मंच पर तिरूमाल योगेश नरेटी पेसा कानून के कागजी क्रियान्वयन पर अपनी रिसर्च पेपर को मंच से संबोधित किया एवं देश के अलग अलग स्थानों से पीएचडी शोधार्थी और रिसर्चर स्कोलर ने अपनी बात पेसा कानून के अलग अलग बिंदु पर रखा, इस सत्र के अंत में प्रश्न उत्तर के माध्यम से कांगे जी ने अपनी बात रखते हुए कहा पेसा की धारा 4 कोई प्रावधान नहीं है बल्कि अपवाद और उपांतरण की सूची है इसी कारण इसमें मात्र 5 ही धारा है और धारा 5 के अनुसार धारा 4 के सभी बिंदुओं पर पेसा सम्मत अनुसूचित क्षेत्रों के सभी प्रवृत विद्यमान कानूनों में बदलाव एक साल के भीतर हो जाने चाहिए थे, जो अभी तक नही हुए हैं। आगे उन्होंने कहा जमीन अधिग्रहण के लिए एक्ट में परामर्श करने के लिए कहा है लेकिन जमीन अधिग्रहण पेसा से नहीं LARR 2013 से होगा और इसमें ग्राम सभा से अनुमति की बात कही गई है। बिना ग्राम सभा के अनुमति बैगर जमीन अधिग्रहण नहीं हो सकता और LARR 2013 की धारा 41 और 42 के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण हो ही नहीं सकता, यदि जमीन अधिग्रहण करना ही होगा तो वह अंतिम विकल्प के रुप में होना चाहिए, तभी जमीन अधिग्रहण हो सकता है। लेकिन उसमें भी ग्राम सभा से अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा। और उसमे भी 50 प्रतिशत गणपुर्ति होना अनिवार्य है बिना गणपुर्ति बगैर नहीं हो सकता। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में प्रोफेसर और शोधार्थी के अलावा दादा शेर सिंह आंचला ने आदिवासी जीवन शैली में पर्यावरण का महत्व पर व डाक्टर अरख बघेल जी ने भी अपनी शोध पत्र प्रस्तुत किया।